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आयोध्या शहर भारतीय इतिहास के एक प्रमुख और पावन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह उत्तर प्रदेश राज्य के फैजाबाद जिले में स्थित है और उत्तरी भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। आयोध्या सनातन धर्म के भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मशहूर हुआ है, जिसे 'राम जन्मभूमि' के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर हिन्दू और मुस्लिम धर्म के द्वंद्वी स्थल के रूप में भी मशहूर है, क्योंकि आयोध्या ने भारतीय इतिहास में विवादों और तनावों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रखा है।

आयोध्या शहर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे मान्यता है कि यह महाभारत काल में भी मौजूद था। यह हिन्दू मेले और धार्मिक त्योहारों के लिए भी अपनी प्रसिद्धि से मशहूर है। कई व्यापारी और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई रंगीन बाजार स्थापित किए गए हैं और आकर्षणीय मेले आयोजित किए जाते हैं।
भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में, आयोध्या ने अपनी प्रसिद्धि को पूरी दुनिया में फैलाया है। आयोध्या धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रमुख स्थलों में से एक है, जहां भगवान राम के और उनके परिवार के प्रतिमाएं स्थापित हैं। आयोध्या धाम भी इस कारण से प्रमुखता प्राप्त कर चुका है।

आयोध्या की महत्ता का भारतीय इतिहास में विशेष स्थान है क्योंकि यह एक संगम स्थल के रूप में भी जाना जाता है। मुग़ल वंश के प्रमुख सम्राट बाबर ने इस प्रशासह में आयोध्या का अधिकार हासिल किया और इसे मुग़ल साम्राज्य की जगह वन्दनीय की। आयोध्या के राजमहल में वे एक शानदार मस्जिद बनवा चुके थे, जिसे बाद में 1528 ईस्वी में अलाउद्दीन ख़िलज़ी ने तोड़ दिया।

इसके बाद आयोध्या की मुस्लिम और हिन्दू सम्प्रदायों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। इस क्रांतिकारी उम्मीदवारता में, बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 ईस्वी तक हुआ, जिसे महत्वपूर्ण हिन्दू और मुस्लिम स्थल घोषित किया गया। इसके बाद, बाबरी मस्जिद और भगवान राम की जन्मभूमि के बीच मंदिर और मस्जिद के मामलों को चला आया, जो संकट और अस्थिरता का कारण बना।

1992 ईस्वी में, बाबरी मस्जिद के ध्वंश के बाद, तनाव और हिंसा शुरू हुई, जिसने आयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर किया। इसके बाद से, न्यायिक प्रक्रिया चली आई और 2019 ईस्वी में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और जन्मभूमि के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण करने की अनुमति दी।

इसके अलावा, आयोध्या भक्ति और पवित्रता का केंद्रबिंदु भी है, जहां हज़ारों भक्त और पर्यटक मंदिरों, घाटों और साहित्यिक केंद्रों की यात्रा करते हैं। यह भारतीय संस्कृति का प्रमुख स्थान है, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन और उत्सव धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं।

आयोध्या की प्रसिद्धि सन् 1989 में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आदोलन के दौरान विख्यात हुई, जब भक्तों द्वारा मस्जिद गिरा दी गई और बाबरी मस्जिद के स्थान पर रामलला के मन्दिर का निर्माण किया गया। इसके बाद से आयोध्या मंदिर विवाद समाप्त होने का इंतज़ार कर रहा है।

आयोध्या नगर निगम ने आयोध्या को एक स्वर्णिम पट्ट के तौर पर बनाने के लिए कई पहल की हैं। इसमें नगर के ऊचाई से उत्कृष्टतम धार्मिक स्थल तक पहुंचने के लिए एक विद्युत पहिया मार्ग का निर्माण शामिल है।

आयोध्या अब एक प्रमुख पार्क और पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हुआ है, जहां ट्रेन होगी और घूमने के लिए विश्राम कर सकेंगे। यहां रहने के लिए ढेरों होटल और धर्मशाला हैं, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।

इस प्रकार, आयोध्या एक प्रमुख और पवित्र स्थान है, जहां धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अन्य उत्तरी भारतीय शहरों के मुकाबले एक विशेष स्थान है। आयोध्या धाम मंदिर, भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मशहूर है और यह भारत का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जिसे दुनियाभर में महत्वपूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त है।
Written by mahendra Kumar
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